श्री लघु शान्ति

श्री मानदेव सूरी का प्रभाव:

“श्री लघु शान्ति” स्तोत्र  का छोटा सा विवेचन :

जिनशासननिरतानाम् (१) शांतिनतानाम्   (२-१)  च जनतानाम् (२-२)
श्री सम्पत्कीर्तियशोवर्द्धनि (३)  जगति जयदेवि विजयस्व (४)  ||११||

शब्दों का सामान्य अर्थ और प्रभाव:

१. जिनशासननिरतानाम्  का अर्थ जिन्हें “जिनशासन” अति प्रिय और इष्ट है

(मात्र अपना समुदाय या पंथ नहीं) और उसके अनुसार जीवन जी रहे हैं.

 

२. शांतिनतानाम्   (२-१)  च जनतानाम् (२-२) का अर्थ  है

ऐसे लोग जिन्हें “जिनमत” पर रूचि नहीं हुई है,
फिर भी शांतिनाथ भगवान के अचिन्त्य प्रभाव से आकर्षित हुए है
(चमत्कार की आशा में)

और इस चमत्कार के लिए भगवान को
वंदन, पूजन, स्तवन और नमस्कार करते है,

(जैन मंदिर जाने का स्पष्ट निर्देश यहाँ पर है)

उन्हें जया देवी

 

लक्ष्मी
(सौंदर्य भी इसमें शामिल है)
समृद्धि
(जिसके पास धन है परन्तु दारू पीता हो, उसे समृद्ध नहीं कहा जाता)
कीर्ति
(एक दिशा में होने वाली प्रशंसा)
यश
(चारों दिशा में होने वाली प्रशंसा).

प्रदान करती है.

जगति जयदेवि विजयस्व (४)
इस पद में श्री   मानदेव सूरी जी ने जया देवी
जो स्वयं ऐसे किसी से पराजित नहीं होने वाली है,

फिर भी उसे “जय” प्राप्त करने का “आशीर्वाद” देते हैं.

 

कारण:

तक्षशिला नगरी में “दुष्ट शाकम्भरी देवी”
द्वारा फैलाई मरकी रोग को
(वर्तमान में कैंसर को मरकी जैसा रोग कहा जा सकता है)
अन्य शासनदेवता
मिटाने में असमर्थ रहे,

तब ऐसी परिस्थिति में “जया देवी” इसे मिटाने में विजय प्राप्त करे
इसलिए गुरुदेव ने जयादेवी को आशीर्वाद प्रदान किया.

गुरु मानदेव सूरी के अद्भुत प्रभाव को यहाँ से जाना जा सकता है.

 

विशेष:

बुखार की अवस्था में भी दोनों समय का “प्रतिक्रमण” पूरी समाधि से हो, इसके लिए श्री मानदेवसूरीजी “मंत्र-शक्ति” से उसे “चादर” में उतार देते थे और प्रतिक्रमण पूरा  होने पर वापस “बुखार” को “शरीर” में प्रवेश करा देते थे.

error: Content is protected !!