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स्तोत्र दिन में सिर्फ एक बार पढ़ें

स्तोत्र दिन में सिर्फ एक बार पढ़ें
 कुछ लोग एक ही स्तोत्र दिन में कई बार पढ़ते हैं.
जैसे भक्तामर : 3 बार
ऋषिमण्डल : 3 बार
तिजय पहुत्त : 3 बार
सन्तिकरं : 27 बार
उवसग्गहरं : 27 बार
 
फिर भी परेशानी जाती नहीं है,
रोज नयी खड़ी होती है;
यदि पुरानी जाती है.
 
कारण?
 स्तोत्र में जिन “भगवान्” को नमस्कार किया जाता है
मन्त्राक्षरों से
उन भगवान् पर “भाव” नहीं है.
अन्यथा स्तोत्र तो एक बार ही पढ़ा जाता है.
परेशानियों को दूर करने के लिए इतना ही बहुत है.
 
प्रश्न:
तिजय पहुत्त पढ़ते समय किन भगवान् को नमस्कार करने का भाव आता है?
उत्तर:
एक समय में सब स्थानों को मिलाकर
अधिकतम 170 तीर्थंकर होते हैं,
उनको नमस्कार किया जाता है.
(ऐसा अजितनाथ भगवान् के काल में हुआ है).
 
अंतिम प्रश्न:
क्या वास्तव में स्तोत्र हम भगवान् को नमस्कार करने के लिए पढ़ते हैं?
उत्तर आपको देना है.
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